कान्हा बांसुरी गोकुल में बजगी,सारी गोपियां नाचन को सजगी।२।
वृंदावन की कुंज गलिन में,कान्हो रास रचावे।पार्वती भी सजधज कर के,रास गली में आवे।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सुनके मुरलिया राधा की, पायल बजगी।सारी गोपियां नाचन को सजगी।
कान्हा बांसुरी गोकुल में बजगी,सारी गोपियां नाचन को सजगी।२।
भोला ने जब सुनी बांसुरी,मन में उठे हिलोरे।बोले भोला पार्वती से, चालूं तेरे धोरे।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹में भी रास देखन जाऊं,म्हारे जचगी।सारी गोपियां नाचन को सजगी।
कान्हा बांसुरी गोकुल में बजगी,सारी गोपियां नाचन को सजगी।२।
मोहिनी रूप धरयो शिव शंकर,गोपी बण इतरावे।ऐसी चाल चले मेरा भोला, नागण सा लहरावे।२। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अंखियां पार्वती की, शरमसे झुकगी।सारी गोपियां नाचन को सजगी।
कान्हा बांसुरी गोकुल में बजगी,सारी गोपियां नाचन को सजगी।२।
मधुवन में जब पहुंच्यों भोलो,कान्हो चाल समझगयों।जोर बजाई पीपाड़ी ने,शंकर सुधि भूलग्यों।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सब हांसी है लुगायां, बैंड बजगी।सारी गोपियां नाचन को सजगी।
कान्हा बांसुरी गोकुल में बजगी,सारी गोपियां नाचन को सजगी।२।
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