तर्ज,तुम झोली भर लो भक्तों
मुझको नचाले बाबा अपने दरबार में,२।बाबा नचाना ना तूं झूठे संसार में।
अर्ज लगाऊं तुमसे कान्हा, हे मोहन गिरधारी। बंसी बजैया धेनु चरैया श्याम धणी अवतारी। बीते यह जीवन मेरा, बस तेरे प्यार में।☀️☀️ बाबा नचाना ना तूं झूठे संसार में।
हट जाए अंधियारा सारा,ज्ञान का दीप जलादे।ऐसी लगन लगे प्रभु हमको, प्रीत की रीत सिखा दे। ☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️झूमू मस्ती में गाऊं, सच्चे दरबार में।बाबा नचाना ना तूं झूठे संसार में।
जीवन की इस होली में मैं, तेरे ही रंग राचू। श्याम रंग से तन मन रंग के, खाटू में मैं नाचू। तेरे होते क्यों डूबे नैया मझधार में।☀️☀️☀️बाबा नचाना ना तूं झूठे संसार में।