तर्ज,सूरज कब दूर गगन से
चमके यूं तेरा मुखड़ा,जैसे हो चांद का टुकड़ा। सजधज के ऐसे बैठा,लागे ज्यों सेठ हो तगड़ा। भक्तों के मन तूं भाया है, नैनों में समाया है।
नैन तेरे कजरारे,होठों पर है लाली,श्याम सलोने तेरी बांकि अदा निराली।🦚🦚🦚🦚🦚🦚हमको तो लागे प्यारा,ये नौलख हार तुम्हारा। भक्तों के मन तूं भाया है, नैनों में समाया है।चमके…
मोर छड़ी हाथों में, केसरिया है बागा। सिंहासन पर बैठा,प्यारा लागे बाबा।🦚🦚🦚🦚🦚 फूलों का हार सुहाना, यह होले से मुस्काना।भक्तों के मन तूं भाया है, नैनों में समाया है।चमके…
अंतर केसर महके, सेवक थारे नाचे। हर्ष कहे भक्तों को,तू बन्ना सा लागे।🦚🦚🦚🦚🦚श्रृंगार सजा है प्यारा, सच्चा दरबार तुम्हारा।भक्तों के मन तूं भाया है, नैनों में समाया है।चमके…