तर्ज,ये गोटेदार लहंगा
बांधा था द्रोपदी ने, तुम्हें चार तार में।२🌹🌹 कुब्जा ने प्रभु को बांधा,पुष्पों के हार में।
भीलनी ने बांधा था तुमको,जूठे बैर रघुराई। हो जूठे बेर रघुराई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मीरा ने प्रभु बांध लिया, दूध कटोरे भाई। हो दूध कटोरे भाई ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बांधा प्रह्लाद ने तुमको,राम नाम प्यार में। कुब्जा ने बांधा प्रभु को, पुष्पों के हार में।
ध्रुव जी ने बांधा था तुमको, बाल भक्ति दिखला कर। हो बाल भक्ति दिखला कर ।🌹🌹🌹हनुमत ने बांध लिया था, सीना को फटलाकर। हो सीना को फटलाकर।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 केवट ने प्रभु को बांधा, पद की पखार में। कुब्जा ने प्रभु को बांधा, पुष्पों के हार में।
मेरे प्रेम में भी बंध जाओ, मेरे नंद के लाला। ओ मेरे नंद के लाला ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹भजन सुनाऊं तुझे रिझाऊं, फेरू तेरी माला। मैं फेरू तेरी माला।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आकर के मुझे संभालो, नैया मझधार में।कुब्जा ने प्रभु को बांधा,पुष्पों के हार में।