आंधा लूला करणी रा हीना, मत कर जोर जबराई,
मैं तो राम ही राम पुकारू,
श्री राम नही मोरी सुध ली नि मैं कब से राह निहारु,
ओर कहीं ना जायें, ओर कहीं ना जायें,
बृज़ रजधानी छोड़ कर, ओर कहीं ना जाये…..
राजा जी देवरो देवसी ने दीजे रे,
मेरी रंग दे चुनरिया राम रंग में,
राम रंग में सियाराम रंग में,
मेरे अंगना में आए भगवान प्रेम रंग बरस रहा,
एक दिन मैं भी खाटू आऊं,
बाबा दर्शन थारा पाऊं,
रूठी मेरी माँ मैं कैसे मनावाँ,
तीनों लोकों में है सबसे निराला,
वो कान्हा मेरे मन बसता,
कहाँ से आया कहाँ जाओगे
खबर करो अपने तन की
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