हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
Category: विविध भजन
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान,
जग में मिठो बोलनो कोई मती राखो बेर रे।
ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।
आलसियो काई लेवो हंसा सागरियो लहराए रे
उड़ जा उड़ जा रे केसरिया काला काग
भारत में रामराज आयो।भारत में रामराज आयो।
अब कन्हैया की बारी आई कृष्ण की बारी।
गंगाजल नहीं मिलता है मैंखाने में
राम रिझाया थारी आत्मा रिझेली
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