हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा
Category: विविध भजन
बैसाखी का दिन अज्ज आया,
संगता ने प्रभु दर्शन पाया,
दुनियाँ से दिल लगाकर, दुनियाँ से क्या मिलेगा
अर्घ्य चढाओ प्राणि,
नमन करो रे प्राणि,
चली जा रही है ये जीवन की रेल
नमस्कार भगवान तुम्हें भक्तों का बारं बार हो
प्रभु जी मेरा चित बड़ा करदा ए, तेरे दर्शन पावा मैं,
बल्ले बल्ले मैं दाता दा फ़क़ीर हो गया,
तेरे हाथ मेरी डोर, मैं पतंग प्रभु जी,
दादा देव दादा देव जय जय श्री दादा देव,
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