तर्ज, उठ जाग मुसाफिर भोर भई
हे स्वामी नींद से जागिए अब, हमें त्याग करना है कन्हाई का। निष्ठुर प्रहरी सब सो गए हैं, बज देखे हैं राह बधाई का।हे स्वामी नींद से जागिए अब, हमें त्याग करना है कन्हाई का।हे स्वामी नींद से जागिए अब।
मेरे सातों संतानों को, उस कंस ने मुझसे छीन लिया। मैं मुख भी उनका ना देख सकी, जाने उनका क्या हाल किया।जाने उनका क्या हाल किया। अब मेरे हृदय के टुकड़े को, ले जाओ दे दो यशोदा को। वही आज से इसकी माता हुई, वहीं सींचेगी इसके जीवन को।हे स्वामी नींद से जागिए अब, हमें त्याग करना है कन्हाई का।
जीवित मैं रहूं या ना भी रहूं, एक बात कान्हा को बता देना। मैंने हीं उसको जन्म दिया, एक बार तो याद दिला देना।एक बार तो याद दिला देना। मेरा लल्ला मुझसे दूर हुआ मैं फिर भी बधाई गाउंगी। जग का कल्याण करेगा वह, यह समझ के मन को मनाऊंगी।
हे स्वामी नींद से जागिए अब, हमें त्याग करना है कन्हाई का। निष्ठुर प्रहरी सब सो गए हैं, बज देखे हैं राह बधाई का।हे स्वामी नींद से जागिए अब, हमें त्याग करना है कन्हाई का।हे स्वामी नींद से जागिए अब।