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विविध भजन

jiski jibha pe naam nahi ram ka,जिसकी जिभा पे नाम नही राम का आदमी वो भला किस काम का।

जिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

जिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।आदमी वो भला किस काम का।आदमी वो भला किस काम का।जिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

दीन दुनिया की खटपट में ढल गया, रात आई तो बिस्तर पर सो गयादीन दुनिया की खटपट में ढल गया, रात आई तो बिस्तर पर सो गया। जिसको होश ना हो सुबह शाम का, आदमी वह भला किस काम काजिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

मीत उसको बनाना ना भूल के, बीज जिसने हैं बोए बबूल के।मीत उसको बनाना ना भूल के, बीज जिसने हैं बोए बबूल के। जो लगा ना सका पेड़ आम का, आदमी वह भला किस काम काजिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

जो भक्ति करे न राम की,जिंदगानी भला किस काम की।वो तो पुतला है हाड़ और मांस का,आदमी वो भला किस काम का।।जिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

भक्तों सुन लो तुम भी तो इंसान हो, करलो भक्ति प्रभु के नाम की।जिसने भरा ना खजाना राम नाम का,आदमी वो भला किस काम का,।जिसकी जिभा पे नाम नही राम का।आदमी वो भला किस काम का।

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