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विविध भजन

Hoja hoshiyar guraji ke sharne Dil sabat fir Darna kya,होज्या होशियार गुरांजी के शरणै दिल साबत फिर डरना क्या

होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

करमन खेती धणियाँ सेती, रात दिनां बीच सोवणा क्या ।आवेगा हंसला चुग जायेगा मोती, कण बिन मण निपजाओगा क्या ॥होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

कांशी पीतल सोना हो गया, पता चल्या गुरु पारस का ।घर चेतन के पहरा दे ले, जाग – जाग नर सोना क्या ॥होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

नौ सौ नदियाँ निवासी नाला, खार समुद्र जल डूंगा क्या ।सुषमण होद भर्या घट भीतर, नाडूल्याँ में न्हाणा क्या ॥होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

चित चौपड़ का खेल रच्या है, रंग ओलख ल्यो स्यारन का ।गुरु गम पासा हाथ लग्या फिर, जीती बाजी हारो क्या ॥होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

रटले रे बंदा अलखजी री वाणी, हर ने लिख्या सो मिटना क्या ।शरण मच्छेन्द्र जती गोरक्ष बोल्या, समझ पड़ी फिर डिगना क्या ॥होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥

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