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Paras pipli by ramkumar maluni,अरे भजन में जाबा कोणी दे

अरे भजन में जाबा कोणी दे

अरे भजन में जाबा कोणी दे जुमला में,जाबा कोणी दे भजना में, आच्छी ओ परनाईं पाबल नुगरा देश में।

सायिबा के तो रे बनातो वन की रोजडी।चरती हरियो हरिया घांस, आयोडा संता का दर्शन पांवती।म्हारो हो जातो कल्याण बाबल,आच्छी ओ परनाईं नुगरा देश में।

सायीबा के तो तूं बनातो जल की बावड्यां। रहतो ठंडो ठंडो नीर, आयोडा साधुडा पाणी पीवता।म्हारो हो जातो कल्याण बाबल,आच्छी ओ परनाईं नुगरा देश में।

सयीबा के तो रे बनातो पारस पीपली। रेहता हरिया हरिया पान, आयोडा साधुड़ा छाया मेटता।म्हारो हो जातो कल्याण बाबल,आच्छी ओ परनाईं नुगरा देश में।

सायिबा हरी का चरना में रूपा बोलिया। दीजयो अमरापुर रो बास दिज्जो, थाका तो चरना की भक्ति सामीडा।म्हारो हो जातो कल्याण बाबल,आच्छी ओ परनाईं नुगरा देश में।

अरे भजन में जाबा कोणी दे जुमला में,जाबा कोणी दे भजना में, आच्छी ओ परनाईं पाबल नुगरा देश में।

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