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Holi geet

Sapno beri julam kare,सुपनो बैरी जुलम कर्यों,holi geet

सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

तर्ज,थे तो पीओ म्हारा मदन गोपाल

मने आयो आयो ढलतोड़ी रात, सुपनो बैरी जुलम कर्यों।जुलम कर्यों रे सितम करयो। मने आयो आयो ढलतोड़ी रात, सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

सूती थी रंग महल में मने मिठो सपनो आयो। सेजा बैठयो साहिबो मेरो जोबन झोला खाग्यो। म्हाने हंस-हंसकर बतलावे मेरो यार,सुपनो बैरी जुलम कर्यों।जुलम कर्यों रे सितम करयो। मने आयो आयो ढलतोड़ी रात, सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

बैठ बाता रसभरी कोई मीठा बोलया बोल।में तो ना करती रही मेरी चोली दीनी खोल।म्हाने गोदया में बैठा ले मेरा यार,सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

में बना जी लिपट गई मेरे मन में रही हरसाए।ना जाने वो किस समय मेरी साड़ी दी सरकाए।अरे वो तो गालड़ा म्हारा रे मचकाय,सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

मने आयो आयो ढलतोड़ी रात, सुपनो बैरी जुलम कर्यों।जुलम कर्यों रे सितम करयो। मने आयो आयो ढलतोड़ी रात, सुपनो बैरी जुलम कर्यों।

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